हो जाइए सावधान, नहीं तो कमर दर्द दे सकता है आपको तकलीफ, जाने क्यों होती है ये बीमारी

हो जाइए सावधान, नहीं तो कमर दर्द दे सकता है आपको तकलीफ, जाने क्यों होती है ये बीमारी

अम्बुज यादव

टेक्नोलॉजी के दौर में मनुष्य अपने सेहत का ध्यान अच्छे से नहीं रख पा रहा है, जिसकी वजह से मनुष्य को काफी तकलीफें भी झेलनी पड़ रही हैं। वैसे आज के समय में कई तरह की बीमारियां होने लगी हैं, लेकिन इस समय सबसे ज्यादा तकलीफ लोगों को कमर दर्द देती हैं। दरअसल मनुष्य पैसे कमाने के लिए घंटो कम्प्यूटर के सामने बैठा रहता है, लगातार खड़े होकर काम करता है और गलत तरीके से भारी वजन उठा लेता है, जिससे कमर दर्द की शिकायत बढ़ जाती है, जिसे लोग आम बीमारी भी मानते हैं। वहीं एम्स के डॉ. केएम नाधीर के अनुसार, अधिकांश लोगों को जीवन में एक बार कमर दर्द जरूर होता है। वहीं 35 से 55 वर्ष की आयु के बीच के लोगों में यह आम है।

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एक समय था जब कमर दर्द की समस्या उम्र बढ़ने के साथ होती थी, लेकिन अब तो लाइफस्टाइल ही ऐसी है कि कमर दर्द की तकलीफ कोई उम्र नहीं देखती। कमर दर्द में सामान्य तौर पर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है, एक खिंचाव या अकड़न महसूस होती है। यह दर्द आमतौर पर गंभीर नहीं होता और कुछ दिनों, हफ्तों या फिर महीनों में ठीक हो जाता है। लेकिन तकलीफ उतने समय तक सेहनी  पड़ती है। कमर की बनावट में मांसपेशियां, हड्डियां, डिस्क, जोड़,  लिगामेंट, नसें आदि शामिल हैं। इनमें से किसी के भी विकार होने से कमर दर्द होने लगता है।
 
क्यों होता है कमर दर्द
कमर दर्द के सामान्य कारणों में शामिल है मांसपेशियों का खिंचाव, मांसपेशी में ऐंठन और तनावपूर्ण लिगामेंट। ऐसा काम जो ज्यादा देर तक एक ही अवस्था में बैठकर करना पड़े या जिसमें हाथों का ज्यादा प्रयोग हो वे कमर दर्द की वजह बनते हैं। अन्य कारणों में ठीक से न बैठना, खड़ा होना, सही अवस्था में न सोना शामिल है। शरीर में मेटाबोलिक रसायनों की कमी कमर दर्द की तकलीफ दे सकती है। रीढ़ की बनावट में खराबी की वजह से या हड्डियों की सघनता में कमी आने से कमर दर्द की शिकायत हो सकती है। ऐसी स्थिति में रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ता है जो दर्द के रूप में सामने आता है। गलत तरीके से उठना, बैठना, चलना-फिरना, टीबी, एंकाइलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस और रोजाना व्यायाम न करना भी इसके कारण हैं।
 
कमर दर्द के लक्षण
ऐसे में कमर दर्द के लक्षण को पहचानना जरूरी है। कमर दर्द की स्थिति में शरीर का तापमान बढ़ जाता है। पीठ पर सूजन, तेज और हर वक्त दर्द, ज्यादा देर तक बैठे रहने से या खड़े रहने से दर्द का और बिगड़ जाना, पीठ और नितंबों के आसपास सुन्न महसूस होना और कुछ मामलों में दर्द का पैरों व घुटनों तक फैलना शामिल हैं।
 
कई बार दर्द की स्थिति में इसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, डिस्कोग्राफी, फैसेट आथ्रोग्राम जैसी जांच करा सकते हैं। कौन-सी नस पर अधिक दबाव पड़ रहा है इसकी जानकारी एमआरआई से मिल जाती है और इस जांच रिपोर्ट को सबसे उपयोगी माना जाता है।
 
कमर दर्द से बचाव के तरीके
ऐसी किसी भी स्थिति में आने से बेहतर है कि कमर को स्वस्थ और मजबूत रखने की दिशा में काम करें। शारीरिक स्थिति में सुधार कर और शारीरिक अभ्यास कर कमर दर्द से बचा जा सकता है या इसकी पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है।
हर व्यक्ति को इससे बचने के लिए अपनी आदतों में बदलाव करने होंगे। ध्यान रखना होगा कि लंबे समय तक एक ही स्थिति में अधिक देर तक न बैठें। बहुत अधिक देर तक बैठना जरूरी हो तो थोड़ी-थोड़ी देर में उठें। झटके से न तो बैठें और न ही उठें। इस तरह से बैठे ताकि रीढ़ को सहारा मिले। जब भी झुकें तो रीढ़ की जगह घुटने मोड़ें। हमेशा सीधे खड़े रहें। रोजाना एक घंटा वर्कआउट जरूर करें। खाने में पौष्टिक आहार लें। हरी सब्जियां, फल, ड्राई फ्रूट, दूध व दही का सेवन करें। साथ ही कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ लें।  बाहरी खाना, जंक फूड, तैलीय खाना, चीनी का सेवन न करें।
 
पीठ या कमर दर्द से आराम दिलाने वाले योग और एक्सरसाइज करें, लेकिन ध्यान रहे कि आप इन्हें डॉक्टर की सलाह के बाद विशेषज्ञों की देखरेख में ही करें। आप जब भी बैठें या सोएं, तो अपनी पीठ को किसी तकिये या बैक रेस्ट से सपोर्ट दें।  अपनी रीढ़ की हड्डी को हाइड्रेटेड और स्वस्थ रखने के लिए खूब पानी पिएं। कमर की हल्के-हल्के हाथों से नियमित रूप से मालिश करें। हर सप्ताह एक घंटा पैदल चलने से कमर दर्द से बच सकते हैं।
 
कमर दर्द रोकने के घरेलू उपचार
कमर दर्द के लिए घरेलू उपचार बड़े काम का हो सकता है और कुछ सप्ताह में ठीक हो जाता है। अपनी स्थिति के अनुसार ज्यादा से ज्यादा गतिविधियां जारी रखें। हालांकि उन कामों से बचें जो दर्द बढ़ा रहा है। कई बार ओवर द काउंटर पैन किलर्स और गर्म सिकाई या बर्फ का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। इसमें रोग की शुरुआती अवस्था में दवाओं, इलेक्ट्रिक स्टिम्यूलेशन, मेन्युअल थेरेपी,  फिजियोथेरेपी, एक्यूपंचर, लेजर थेरेपी आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इससे दर्द और मांसपेशियों की जकड़न कम करने में मदद मिलती है। इसके बाद विशेष प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। ट्रैक्शन और लम्बर बेल्ट लगाने से भी आराम मिलता है। याद रखें कि अगर कमर दर्द तीन महीनों से ज्यादा समय से हो तो यह क्रॉनिक हो जाता है। इस स्थिति में ऑपरेशन ही इलाज होता है।

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